हरीश रावत के ट्वीट से सियासी तूफान, BJP ने किया तंज - 'उत्तराखंड के अमरिंदर हो सकते हैं रावत'

हरीश रावत के ट्वीट से सियासी तूफान, BJP ने किया तंज - 'उत्तराखंड के अमरिंदर हो सकते हैं रावत'

हरीश रावत के ट्वीट से सियासी तूफान

हरीश रावत के ट्वीट से सियासी तूफान, BJP ने किया तंज - 'उत्तराखंड के अमरिंदर हो सकते हैं रावत'

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस की प्रदेश चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत की इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट से कांग्रेस में आए तूफान से भाजपा को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया। हालांकि, भाजपा इसे कांग्रेस का अंदरूनी मामला जरूर बता रही है, लेकिन अब वह कांग्रेस को और मजबूती से घेरने की रणनीति बनाने में जुट गई है।

विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत भाजपा की रणनीति राज्य में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे के रूप में देखे जा रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को घेरने की रही है। भाजपा नेता निरंतर ही रावत के विरुद्ध हमलावर रहे हैं। हाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देहरादून में हुई सभा में रावत को जमकर निशाने पर लिया था। इसके साथ ही प्रदेश भाजपा की रणनीति भी पूर्व मुख्यमंत्री रावत को कुमाऊं क्षेत्र में घेरने की है और इस दिशा में वह आगे बढ़ रही है।

अब जबकि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इंटरनेट मीडिया के जरिये पार्टी के भीतर के अपने दर्द को बयां किया तो भाजपा को बगैर कुछ किए एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया। इसके साथ ही पार्टी ने रावत और कांग्रेस के विरुद्ध मोर्चा खोलने में देर नहीं लगाई। हालांकि, भाजपा इसे कांग्रेस का अंदरूनी मामला बता रही है, लेकिन यह भी कहने से नहीं चूक रही कि राज्य निर्माण की विरोधी रही कांग्रेस ने प्रदेश के विकास के लिए कभी कुछ नहीं किया। साथ ही हरीश रावत के दर्द को पंजाब कांग्रेस की तरह उत्तराखंड में भी संभावित टूट से जोड़कर देख रही है। साफ है कि भाजपा आने वाले दिनों में कांग्रेस के विरुद्ध और ज्यादा मुखर होगी। इस मुद्दे के आलोक में वह ये कहकर भी प्रचारित करेगी कि जो अपने घर को नहीं संभाल पा रहे, वे उत्तराखंड को क्या संभालेंगे।

-मदन कौशिक (प्रदेश अध्यक्ष भाजपा) ने कहा कि वैसे यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है, लेकिन साबित करता है कि कांग्रेस को प्रदेश के हित से कोई लेना-देना नहीं है। कांग्रेस में नेतृत्व की लड़ाई पिछले पांच साल से चल रही है, जो अब सतह पर आ गई है। वह न तो विपक्ष की भूमिका सही ढंग से निभा पाई और न जन समस्याओं का निराकरण ही करा पाई। राज्य निर्माण की विरोधी रही कांग्रेस ने राज्य के हित में कोई काम नहीं किया।

-तीरथ सिंह रावत (पूर्व मुख्यमंत्री एवं लोकसभा सदस्य, पौड़ी गढ़वाल) ने कहा कि हरीश रावत कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं और वह जिस तरह का दुख व्यक्त कर रहे हैं, उससे लगता है कि कांग्रेस में कोई न कोई खिचड़ी अवश्य पक रही है। यदि रावत का कांग्रेस पार्टी में सम्मान नहीं है तो उन्हें राजनीति से संन्यास लेने पर विचार करना चाहिए। वैसे भी कांग्रेस अब बिखराव की स्थिति में है। हरीश रावत जब पंजाब गए तो वहां बिखराव हुआ और अब यहां भी कांग्रेस की यही तस्वीर बनती दिख रही है।

-सुरेश जोशी (प्रदेश प्रवक्ता भाजपा) ने कहा कि हरीश रावत का लगातार ही इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट लिखकर स्वयं को मुख्यमंत्री पद का चेहरा न बनाने का दर्द बयां करना और उनके विरोधियों का दिल्ली दरबार में जमे रहना, कहीं न कहीं कांग्रेस में पंजाब की तरह बड़ी टूट के संकेत दे रहा है। एक तरफ हरीश रावत उत्तराख्ंाड की चाहत होने का नारा दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अपनी पार्टी में उनकी चाहत नहीं है। जनता के सवालों का सामना अब कांग्रेस के बस की नहीं, क्योंकि जनता तो अपना मन भाजपा के पक्ष में बना चुकी है।